पहचान पत्र योजना
हस्तशिल्पी पहचान पत्र योजना
प्रदेश से अन्य देशों को होने वाले निर्यात में 70 प्रतिशत हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित शिल्पकला की वस्तुओं का निर्यात होता है। प्रदेश में अनुमानतः 25 लाख हस्तशिल्पी अपने शिल्प कला से प्रदेश का गौरव बढ़ाये हुये हैं किन्तु प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में निवास करने वाले हुनरमंद कई ऐसे भी हस्तशिल्पी हैं जो कार्य तो हस्तशिल्पी का करते हैं परन्तु कम शिक्षा अर्जित कर पाने के कारण अपनी हस्तशिल्पी होने की पहचान प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं जिसके लिये विकास आयुक्त हस्तशिल्प, भारत सरकार द्वारा पिछले कई वर्षो से हस्तशिल्पी पहचान पत्र बनवाने की योजना प्रदेश के निम्न जनपदों आगरा, बाराबंकी, सहारनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली, में विपणन एवं सेवा विस्तार केन्द्र/सेवा केन्द्र खोलेते हुये संचालित करायी जा रही है किन्तु कहीं कहीं के हस्तशिल्पियों उक्त सेवा केन्द्रों में पन्हूँचने में होने वाली असुविधा को दृष्टिगत रखते हुये तथा इस योजना को और अधिक व्यापक / प्रभावी बनाने के लिये उद्योग विभाग,उत्तर प्रदेश द्वारा मैपडाईटैक्स, संस्था, उद्योग निदेशालय परिसर द्वितीय तल, कानपुर को भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय (हस्तशिल्प) कार्यालय, नई दिल्ली से अनुमोदित कराते हुये मुख्यालय पर ही यह सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। इस सम्बन्ध में जनपदों के जिला उद्योग केन्द्रों के महा प्रबन्धकों को भी लक्ष्यों के साथ निर्देश निर्गत किये गये हैं कि वे अपने अपने जनपदों के हस्तशिल्पियों की पहचान करते हुये कैम्प आदि के माध्यम से प्रचार प्रसार करते हुये ज्यादा से ज्यादा हस्तशिल्पी पहचान पत्र निर्गत कराये। अभी तक प्रदेश के विभिन्न जनपदों में निवास करने वाले हस्तशिल्पियों के मैपडाईटेक्स संस्था द्वारा लगभग 33 हजार से भी ज्यादा हस्तशिल्पी पहचान पत्र बनाये जा चुके हैं। हस्तशिल्पी फोटो पहचान पत्र बन जाने के बाद हस्तशिल्पी भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित करायी जा रही विभिन्न योजना के अन्तर्गत लाभान्वित कराये जाते हैं।